संचार साथी ऐप क्या है? कैसे करेगा काम? क्यों सरकार कर रही अनिवार्य? आम मोबाइल यूजर को कितना फायदा?
दूरसंचार विभाग ने मोबाइल फोन की असलियत की जांच करने के लिए फोन में संचार साथी एप को इंस्टॉल करने का निर्देश दिया है। इस फैसले के बाद अब नए मोबाइल फोन में संचार साथी एप्लिकेशन पहले से इंस्टॉल होकर आएगा। फोन कंपनियों को 90 दिनों के अंदर नए फोन्स में इस एप्लिकेशन को इंस्टॉल करना होगा|निर्देश में इस बारे में भी बताया गया है कि अगर कंपनियां इसका पालन नहीं करती हैं तो उन पर दूरसंचार अधिनियम 2023 और दूरसंचार साइबर सुरक्षा नियम 2024 के प्रावधानों के तहत कार्रवाई की जाएगी। वहीं विपक्षी दल सरकार के इस फैसले को असंवैधानिक बता रहे हैं। वे सरकार से इस फैसले को वापस लेने की मांग कर रहे हैं। उनके द्वारा कहा जा रहा है कि सरकार इससे लोगों पर नजर रखेगी|
संचार साथी ऐप सरकार का बनाया साइबर सिक्योरिटी टूल है, जो 17 जनवरी 2025 को लॉन्च हुआ था. ये ऐप काफी लोकप्रिय है और इसके 3 करोड़ से ज्यादा डाउनलोड हैं. अब सरकार ने हर मोबाइल में इसको प्री-इंस्टॉल करना अनिवार्य कर दिया है|
संचार साथी ऐप सरकार का बनाया साइबर सिक्योरिटी टूल है, जो 17 जनवरी 2025 को लॉन्च हुआ था. इसे 5 करोड़ से ज्यादा बार डाउनलोड किया जा चुका है. ऐप की सहायता से अब तक सात लाख से ज्यादा चोरी हुए या खोए हुए फोन वापस मिल चुके. 3 करोड़ से ज्यादा फर्जी मोबाइल कनेक्शन भी इसकी मदद से कट चुके हैं. यही नहीं 37 लाख से ज्यादा चोरी के डिवाइस अब तक संचार साथी की सहायता से ब्लॉक किए गए हैं|
दूरसंचार विभाग (DoT) ने भारत में इस्तेमाल होने वाले सभी मोबाइल फोन में संचार साथी मोबाइल ऐप प्री-इंस्टॉल होना अनिवार्य कर दिया है. आदेश में कहा गया है कि फोन निर्माता और आयातक यह सुनिश्चित करें कि नया फोन चालू करते ही या पहली बार सेटअप करते समय यह ऐप उपयोगकर्ता को दिखे और इसे किसी भी तरह से छिपाया या बंद न किया जा सके. जो फोन पहले बिक चुके हैं उनमें यह यह ऐप सॉफ्टवेयर अपडेट के माध्यम से उपलब्ध कराना होगा. संचार साथी ऐप दूरसंचार क्षेत्र में साइबर अपराध और धोखाधड़ी को रोकने के लिए बनाया गया है|
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